
संभल में रमजान के दौरान सहरी और अजान के लिए परंपरागत तरीके अपनाए जा रहे हैं। लोग खुद सहरी के लिए जगाने लगे हैं और मस्जिदों में मुअज्जिन छतों से अजान दे रहे हैं।
संभल में जामा मस्जिद (फाइल) – फोटो : संवादसंभल में रमजान के दौरान सहरी और अजान के लिए परंपरागत तरीकों का सहारा लिया जा रहा है। अब लाउडस्पीकर की जगह लोग खुद सड़कों पर उतरकर सहरी के लिए जगाने लगे हैं। इसके अलावा मस्जिदों में अजान देने के लिए ऊंची आवाज में पुकार लगा रहे हैं।
रमजान की शुरुआत से ही मोहम्मद सुहैल तड़के तीन बजे संभल की तंग गलियों में ढोल बजाते हुए रोजेदारों को सहरी के लिए जगाने का काम कर रहे हैं। वह गले में ढोल टांगे हुए आवाज लगाता हैं, उठ जाओ भाइयो, सहरी का वक्त हो चुका है। फिर ढोल बजाकर सोए हुए लोगों को जगाने की कोशिश करते हैं।
सरकार के प्रतिबंध के कारण अब संभल की मस्जिदों में लाउडस्पीकर से अजान नहीं दी जा रही है। इसके बजाय मुअज्जिन छत पर खड़े होकर ऊंची आवाज में अजान दे रहे हैं ताकि नमाजियों को समय का पता चल सके। पुलिस ने कई मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटवा दिए हैं। स्थानीय पुलिस स्टेशन में कई उतारे गए लाउडस्पीकर रखे गए हैं।
बीते दिसंबर में एक इमाम पर तय सीमा से ज्यादा ध्वनि में अजान देने के आरोप में दो लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया था। संभल हाल ही में उस समय सुर्खियों में आया जब पिछले साल नवंबर में मुगलकालीन शाही जामा मस्जिद के सर्वे के बाद हिंसा भड़क उठी थी।
इस दौरान चार लोगों की मौत हो गई थी और पुलिसकर्मियों समेत कई लोग घायल हुए थे। इसी को देखते हुए प्रशासन इस बार रमजान में अतिरिक्त सतर्कता बरत रहा है।